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वीर-गाथा


hero of kashmir army in kashmir


युद्ध से भला हम क्यों डरे,

जब जीवन हर घड़ी संघर्ष है।


युद्ध में अगर जो हम मरें,

शहादत भी तो एक हर्ष है।


मौत से भी भला हम क्यों डरे,

जब मृत्यु ही जीवन का निष्कर्ष है ।


वीरता की एक घड़ी की जिंदगानी काफी,

व्यर्थ कायरता के सौ वर्ष है।


जो ठोकरों पे मार सके जिंदगी,

वीर को सदा यही परामर्श है।


जो कर सके जीत का चुनाव

या फिर दुश्मनो पर दया का भाव

वही वीरता ही उत्कर्ष है ।


जिंदगी हो तो हो पुरुषार्थ की,

मृत्यु से जीवन का यही सार है।


कहीं भली है जीतकर मिली बंजर धरा,

शीश झुकाकर मिला कनक महल मानो गर्त है।


मृत्यु है हार से बेहतर,

जीत के बिना जीवन व्यर्थ है।


युद्ध करना ही वीर-धर्म है,

भगवद गीता का भी यही अर्थ है...

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