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सही और गलत

अंकुर महाजन


वर्तमान कश्मीर की पृष्ठभूमि में दो दोस्तों की कहानी आज के कश्मीर समाज की गतिशीलता को उजागर करती है। यह कविता कश्मीर के युवाओं की कठिनाइयों पर एक समझदार पाठ है| बहुत ही सूक्ष्म और प्रभावशाली तरीके से आगे का रास्ता दिखाती है। सभी कश्मीरियों को पढ़ना चाहिए, यह कविता बहुत ही संबंधित है।
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सुनो कहानी तुम दो यारों की,

अल्ताफ और आतिफ दो कुमारों की,

यह किस्से इनके ज़िन्दगी के,

अनबन किताबों और हथियारों की।


अल्ताफ और आतिफ साथ रहते साथ पढ़ते,

पढ़ाई में दोनों कमज़ोर, अक्सर किताबों से लड़ते,

लेकिन ज़िन्दगी में कोई भी मुश्किल आए,

दोनों मिलकर आगे बढ़ते।



फिर एक मोड़ ज़िन्दगी में ऐसा आया,

दोनों यारों को मुश्किल में लाया,

एक ने पकड़ी किताबों की राह,

एक हाथों में बंदूक लाया,

अल्ताफ मेहनत कर पढ़ने लगा,

आतिफ जूठे जिहाद के लिए लड़ने लगा।



दोनों की खुशहाल ज़िन्दगी ने कुछ ऐसा मोड़ लिया,

अल्ताफ की किस्मत में सुख और शौहरत,

आतिफ को अपनो से दूर, जंगलों में छुपा दिया,

अल्ताफ हर त्यौहार अम्मी अब्बू साथ मनाता है,

इज्जत से अपनी रोटी खाता है,

दोस्तों संघ आज़ादी से घूमने जाता है,

आतिफ भी जन्नत की खोज में भागता रहता है,

रोटी भी गाँववालों से माँगकर खाता है,

अक्सर दोस्तों से नज़रें छुपाता है।


अल्ताफ की अम्मी ने उसका निकाह पक्का किया,

अल्ताफ ने सबकी रज़ामंदी से उसे अपनालिया,

अब उसका एक प्यारासा परिवार है,

उसका बच्चा, मानो जैसे उसके घर खुदा का अवतार है,

आतिफ की अम्मी भी उसे खोजती है,

उसका बेटा घर जल्दी आएगा यही सोचती है,

अब्बू को लगता जैसे परिवार टूट सा गया,

अम्मी हर वक्त किस्मत और खुदा को कोसती है।



आतिफ को देर से सही लेकिन समझ आता है,

यह रास्ता जन्नत को नहीं जाता है,

आतंकवाद हमें अपनों से दूर ले जाता है,

वक्त के साथ हमारी हस्ती मिटाता है,

आतिफ कहता है,

आतंकवाद एक काला मायाजाल है,

बाहरी ताकतों की एक गहरी चाल है,

हम इसे ना अपनाएं तो,

हमारी ज़िन्दगी और हमारा कश्मीर खुशहाल रहेगा,

कभी अपनों का खून नहीं बहेगा,

हमारे देश, हमारे कश्मीर में हमेशा चैन और अमन रहेगा।

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