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सैनिक की जिंदगी

Updated: Jul 30, 2020

पिता का घर छोड़, आज मैं अपने घर में आया हूँ|

माँ तेरा आँचल छोड़कर,भारत माँ की गोंद में आया हूँ|

दोस्त बोले,इस होली पर तुझको रंगने नीला हरा रंग लाया हूँ|

सरहद से तू वापिस आजा,तुझको रंगने मैं आया हूँ|

रंग तेरे प्यार के मैं सरहद पर ही ले आया हूँ,

इस होली पर दुश्मन के लहू से मैं होली खेलने आया हूँ|

दोस्तो की महफ़िल छोड़कर, भारत माँ की गोद में अब आया हूँ|



रक्षाबंधन पर बहन ने पूछा,

इस राखी पर भैय्या,क्या तुम घर में आओगे?

विश्वास है मुझको इस बार तोहफे में तुम दुश्मन के सर लाओगे|

राखी घर में छोड़कर, सरहद पर मैं आया हूँ,

देख बहन तोहफे में इसबार, सर दुश्मन के ही लाया हूँ|



पिता बोले याद रखना बेटा तुझ पर जिम्मेदारी भारी है,

भारत पर हमले की शत्रु की पूरी तैयारी है|

जानता हूँ की बेटा मेरा जीतकर वापिस आएगा,

फिर भी दे वचन के तू पीठ न दिखायेगा|



पीठ दिखाकर पुरखों के शौर्य पर मै कलंक कभी न लगाऊंगा,

फ़तेह हासिल करके ही मैं वापिस घर मे आऊंगा|

खुशी होगी मुझको जब युद्ध वीर के पिता तुम कहलाओगे

वादा करो की मैडल लेकर आने पर सीने से मुझे लगाओगे,

और जो मेरी अर्थी आयी तो आंसू न तुम बहाओगे|



माँ तू कहती थी कि तेरे आने से खुशहाली छाने लगती है,

देख आज मैं पुरे देश में खुशहाली लेकर आया हूँ,

आज मैं दुश्मन के खेमे में तिरंगा फहराकर आया हूँ|

तू गौरवशाली है,तू भाग्यशाली है,

देख आज मैं तिरंगे में लिपटकर वापिस आया हूँ|



पिता का घर छोड़,आज मैं अपने घर में आया हूँ,

माँ तेरा आंचल छोड़कर,भारत माँ की गोद में अब आया हूँ|




Written By A Soldier serving in Indian Army

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