मैं महाराष्ट्र राज्य के जिला अहमदनगर के गांव झालागांव का रहने वाला हूं। मैं बहुत गरीब खानदान से तालुकात रखता हूं। मैने 12वीं कक्षा पास की है। मैं फौज में आने से पहले घर पर पढाई और खेती करता था। मुझे फौज में आने का बचपन से जूनून था।
जब मैं पहली रैली मे गया तो इतनी भीड़ देख के हैरान हो गया। मैने पहली रैली अहमदाबाद (महाराष्ट्र) मे देखी थी। पहली रैली के दौरान, मैं रनिंग में फेल हो गया था। उसके बाद मेरे अंदर इतना जूनून पैदा हुआ की किसी भी हाल में फौज में भर्ती होना है। दुसरी रैली से पहले मैने रनिंग में ज्यादा मेहनत की। मैं दुसरी रैली में रनिंग में तो पास हो गया लेकिन मेडिकल में फेल हो गया था। मैं तीसरी रैली में रनिंग में पास हो गया था। मैने रनिंग पास होने के बाद पढाई पर ज्यादा जोर दिया । अब परीक्षा में पास होने के बाद फाइनल रिजल्ट कब आया मुझे पता नहीं चला। रिजल्ट आने के तीन दिन बाद मुझे पता लगा। परीक्षा में पास होने के बाद जिंदगी में मुझे सबसे ज्यादा खुशी हुई थी। यह मेरे जीवन का सबसे पहला कदम था। मेरी मां मुझसे हमेशा यही कहानी सुनाती थी की बेटा कोई नौकरी कर, लेकिन मेरा सपना यही था की नौकरी करनी है तो बस फौज की करनी है। जब मैं 12वीं पास हुआ तो मैने मां को वचन दिया कि मां मैं तीन साल के अंदर अपने पैर पर खड़ा हो जाउंगा।
17 नवंबर 2016 को मैने ट्रेनिंग सेंटर में रिपोर्ट किया था। जब मैंने ट्रेनिंग सेंटर में पहला कदम रखा, उस समय मुझे गर्व महसूस हुआ की मेरे मां-बाप ने जीवन में कुछ अच्छा किया होगा। जब मैंने मेरी कंपनी में पहला कदम रखा तब मुझे कंपनी सीनियर जेसीओ साहब ने फौजी बनाने का व्याख्यान दिया था। 19 दिसंबर 2016 को मेरा प्रशिक्षण शुरू हो गया था। प्रशिक्षण शुरू होने के बाद मुझे राइफल चलाना सिखाया गया, यह मेरे जीवन का पहला अवसर था । बुनियादी प्रशिक्षण खत्म होने के बाद मुझे 28 दिन की छुटटी भेज दिया गया । जब मैं बुनियादी प्रशिक्षण के बाद पहली बार छुटी गया, तब मुझे मेरे दोस्त, रिश्तेदार अलग नजर से देख रहे थे। अब मेरे दोस्त, रिश्तेदार मुझसे इज्जत से बात करते हैं।
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