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दो पंख

प्रिन्स रोहित

कश्मीर नए भविष्य की उड़ान भरने की इच्छा रखता है। एक ऐसा भविष्य जो भाईचारे और समृद्धि का वादा करता है। पंख नई पीढ़ी को एक नई दुनिया में विभाजित करेंगे।
 

दो पंख हमें ,

हमें अब उड़ना है|

मंजिल है पानी अपनी,

आसमान हमे अब छूना है|


दो पंख हमें,

हमें अब उड़ना है|


कह दो दैहलिज़ों से,

ना रोके अब हमे|

लंबा है सफर अपना,

अब इसी घङी शुरू करना है|


दो पंख हमें,

हमें अब उड़ना है|

ख्वाब नए हैं इन आँखों में,

अब जंजीरों में न रहना है|

मंसूबों में ताकत है हमारे,

सबूत बस इसका अब देना है|


दो पंख हमें,

हमें अब उड़ना है|

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