कश्मीर घाटी में सेवारत एक भारतीय सेना का सिपाही इस बात से हैरान है कि कैसे कश्मीर के युवाओं को धर्म के नाम पर उग्रवाद में धकेल दिया जाता है। क्या जिहाद के लिए मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं ? सिपाही उग्रवाद के कारण पीड़ित, मासूमों को देखता है। यह युवाओं को झकझोरने का प्रयास है क्योंकि कोई भी धर्म मानवता की हत्या का उपदेश नहीं देता है।
An Indian Army soldier serving in Kashmir valley is perplexed on how youth of Kashmir is pushed into militancy in name of religion. The soldier dares to question if Jihaad has no value of human life. He witness innocents suffering because of militancy. He attempts to shake the brainwashed youth to see beyond cooked up stories of Jihaad because no religion preaches killing of humanity.
है ये जंग किस वास्ते
है क्यूं तू लड रहा
ये कौन सी जिहाद है
जो ले हथियार तू चल रहा
है ये जंग किस वास्ते
है क्यूं तू लड रहा
चंद सिक्कों की खातिर
कयूं जान लुटाने को तडप रहा
है ये जंग किस वास्ते
है क्यूं तू लड रहा
खून in सड़कों पे
लाल ही तो बैह रहा
है ये जंग किस वास्ते
है क्यूं तू लड रहा
अंधी इस आग मे
घर मेरा या तेरा
है तो बस जल ही रहा
है ये जंग किस वास्ते
है कयूं तू लड रहा
मासुम कहता है तु खुद को
तो कया कसुर उसका भी था
तू था राह भटका
वो तो बस किनारे खडा ही था
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